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Wednesday,18-December-2024
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जोमैटो को मिला 803 करोड़ रुपये का टैक्स डिमांड नोटिस

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मुंबई, 13 दिसंबर: फूड डिलीवरी और क्विक कॉमर्स सेवाएं उपलब्ध कराने वाली कंपनी जोमैटो को वस्तु और सेवा कर (जीएसटी) डिपार्टमेंट से 803 करोड़ रुपये का टैक्स डिमांड नोटिस मिला है।

कंपनी द्वारा स्टॉक एक्सचेंज पर दी गई जानकारी में कहा गया कि यह नोटिस सीजीएसटी और सेंट्रल एक्साइज के ज्वाइंट कमीश्नर, ठाणे की ओर से दिया गया है। इस टैक्स नोटिस में जीएसटी डिमांड और ब्याज एवं जुर्माना शामिल है।

कंपनी द्वारा जारी बयान में आगे कहा गया कि यह टैक्स डिमांड नोटिस डिलीवरी चार्जेस पर जीएसटी न भुगतान करने करने को लेकर है। 803 करोड़ रुपये की कुल राशि में 401.7 करोड़ रुपये की जीएसटी डिमांड और इतनी ही राशि की ब्याज एवं जुर्माना शामिल हैं।

कंपनी ने फाइलिंग में कहा, “हमारा मानना ​​है कि हमारे पास योग्यता के आधार पर एक मजबूत मामला है, जो हमारे बाहरी कानूनी और कर सलाहकारों की राय से समर्थित है। कंपनी उचित प्राधिकारी के समक्ष आदेश के खिलाफ अपील दायर करेगी।”

डिलीवरी चार्ज पर जोमैटो को 2023 में भी 400 करोड़ रुपये का जीएसटी डिमांड नोटिस मिला था।

डिलीवरी चार्ज जोमैटो, स्विगी और अन्य फूड एवं क्विक कॉमर्स कंपनियों द्वारा अपनी सेवाओं पर लगाया जाता है।

रिपोर्ट्स में बताया गया कि इन कंपनियों का तर्क है कि गिग वर्कर डिलीवरी पार्टनर के रूप में काम करते हैं। उन्हें प्रति ऑर्डर आधार पर भुगतान किया जाता है। यूजर्स से लिए गए इस डिलीवरी चार्ज को सीधे गिग वर्कर को दे दिया जाता है।

रिपोर्ट्स में आगे कहा गया कि जीएसटी कानूनों में डिलीवरी चार्ज को एक सर्विस माना गया है, क्योंकि प्लेटफॉर्म इसे एकत्रित कर रहे हैं। इस वजह डिलीवरी पर 18 प्रतिशत जीएसटी लगाया जा सकता है।

कंपनी ने हाल ही में इक्विटी शेयरों के क्वालिफाइड इंस्टीट्यूशंस प्लेसमेंट (क्यूआईपी) के माध्यम से 1 बिलियन डॉलर से अधिक जुटाए हैं।

जोमैटो का शेयर दोपहर 1 बजे सपाट 285 रुपये पर कारोबार कर रहा था।

चालू वित्त वर्ष की सितंबर तिमाही में जोमैटो की कुल आय सालाना आधार पर 68.5 प्रतिशत बढ़कर 4,799 करोड़ रुपये हो गई है, जो कि पिछले वित्त वर्ष की समान अवधि में 2,848 करोड़ रुपये थी। सितंबर तिमाही में कंपनी का शुद्ध मुनाफा 4.8 गुना बढ़कर 176 करोड़ रुपये हो गया है।

व्यापार

2024-25 में भारत में सोने के आभूषणों की खरीद में 18 प्रतिशत के उछाल की उम्मीद : आईसीआरए

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नई दिल्ली, 17 दिसंबर। मंगलवार को जारी आईसीआरए की रिपोर्ट के अनुसार, चालू वित्त वर्ष में घरेलू सोने के आभूषणों की खपत को लेकर मूल्य के संदर्भ में 14-18 प्रतिशत की अनुमानित वृद्धि हो सकती है।

रिपोर्ट के अनुसार, जुलाई 2024 में केंद्रीय बजट में आयात शुल्क में 900 आधार अंकों (बीपीएस) की तीव्र कटौती हुई और इसके परिणामस्वरूप थोड़े समय के लिए सोने की कीमतों में सुधार हुआ।

इसी के साथ वित्त वर्ष 2025 की दूसरी तिमाही (जुलाई-सितंबर) के दौरान आभूषणों के साथ-साथ बार और सिक्कों की कुछ प्री-खरीद हुई, जो आम तौर पर मौसमी रूप से कमजोर तिमाही होती है।

रिपोर्ट में कहा गया है, “सोने की कीमतों में उतार-चढ़ाव के बावजूद उपभोक्ता भावनाओं में सुधार और त्योहारों के कारण मांग में वृद्धि ने हाल के महीनों में खपत में वृद्धि को बढ़ावा दिया।

इसके साथ ही शुभ दिनों और विवाह के दिनों की संख्या में वृद्धि और बेहतर ग्रामीण उत्पादन में सहायक अनुकूल मानसून से वित्त वर्ष 2025 की दूसरी छमाही में आभूषणों की मांग में वृद्धि होने की संभावना है।”

वित्त वर्ष 2024 में संगठित आभूषणों के लिए राजस्व वृद्धि को प्राप्तियों से समर्थन मिला था, जिसमें सोने की कीमतों में सालाना आधार पर 14 प्रतिशत की वृद्धि हुई थी। इस वित्त वर्ष में भी यही प्रवृत्ति जारी रहने की उम्मीद है।

चालू वित्त वर्ष में अब तक, सोने की औसत कीमत वित्त वर्ष 2024 की औसत कीमत के मुकाबले 25 प्रतिशत की तेज वृद्धि हुई है।

रिपोर्ट में कहा गया है कि पिछली सात तिमाहियों से सोने की कीमतों में लगातार बढ़ोतरी वैश्विक आर्थिक और भू-राजनीतिक परिदृश्य और सोने की बढ़ती निवेश मांग से प्रेरित है।

आपूर्ति को लेकर संगठित ज्वैलर्स द्वारा वित्त वर्ष 2025 में अपने मौजूदा खुदरा नेटवर्क में 16-18 प्रतिशत की वृद्धि की उम्मीद है।

इसमें कहा गया है कि अधिकांश बड़े ज्वैलर्स नए बाजारों में विस्तार करने के लिए फ्रेंचाइजी मॉडल का विकल्प चुन रहे हैं, क्योंकि उन्हें कम पूंजीगत व्यय और फ्रैंचाइजी-पार्टनर के साथ स्थानीय बाजार के ज्ञान के लाभ मिलते हैं।

आईसीआरए के उपाध्यक्ष सुजॉय साहा ने कहा, “आईसीआरए के 15 बड़े खुदरा विक्रेताओं का सैंपल सेट, जो संगठित बाजार का लगभग 75 प्रतिशत हिस्सा है, वित्त वर्ष 2025 में 18-20 प्रतिशत का स्वस्थ वार्षिक विस्तार दर्ज करने का अनुमान है।

टियर टू और थ्री शहरों पर ध्यान केंद्रित करते हुए योजनाबद्ध स्टोर जोड़ना, सोने की बढ़ती कीमतें, ब्रांडेड ज्वेलरी की ओर वरीयता में बदलाव और वित्त वर्ष 2025 की चौथी तिमाही में कुछ संभावित प्री-खरीदारी, वित्त वर्ष 2026 की पहली तिमाही में शुभ दिनों की अधिक संख्या के कारण वृद्धि को बढ़ावा देगी। सीमा शुल्क में कटौती से अनौपचारिक आयातों को हतोत्साहित करने की भी उम्मीद है, जिससे संगठित व्यापार में वृद्धि को समर्थन मिलेगा।”

आईसीआरए का अनुमान है कि वित्त वर्ष 2025 में उद्योग का परिचालन मार्जिन वित्त वर्ष 2023 और वित्त वर्ष 2024 के 7.2-7.4 प्रतिशत के स्तर से 50-70 बीपीएस तक कम हो जाएगा। फिर भी, आईसीआरए को उम्मीद है कि उसके सैंपल सेट के डेट प्रोटेक्शन मीट्रिक आरामदायक बने रहेंगे, जिसमें ब्याज कवर वित्त वर्ष 2024 में 6 गुना से बढ़कर वित्त वर्ष 2025 में 6.2-6.4 गुना हो जाएगा।

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व्यापार

शेयर बाजार से जमकर पैसा जुटा रही कंपनियां, 2024 में बना रिकॉर्ड

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नई दिल्ली, 17 दिसंबर। भारतीय शेयर बाजार के लिए 2024 एक ऐतिहासिक साल रहा है। कंपनियों ने इस साल अब तक इनिशियल पब्लिक ऑफरिंग (आईपीओ), क्वालिफाइड इंस्टीट्यूशनल प्लेसमेंट (क्यूआईपी) और राइट्स इश्यू के जरिए 3 लाख करोड़ रुपये से अधिक की रिकॉर्ड पूंजी जुटाई है। इससे पहले 2021 में कंपनियों ने रिकॉर्ड 1.88 लाख करोड़ रुपये जुटाए थे।

रिपोर्ट्स के मुताबिक, इस साल अब तक 90 कंपनियों ने 1.62 लाख करोड़ रुपये की राशि जुटाई है या इसकी घोषणा की है, जो पिछले साल के 49,436 करोड़ रुपये से 2.2 गुणा अधिक है। 2024 में नए इश्यू के जरिए जुटाई गई राशि करीब 70,000 करोड़ रुपये है, जबकि 2021 में यह आंकड़ा 43,300 करोड़ रुपये था।

2024 में अब तक 88 कंपनियां क्यूआईपी के जरिए 1.3 लाख करोड़ रुपये जुटा चुकी हैं। इससे पहले क्यूआईपी के जरिए सबसे अधिक राशि 80,816 करोड़ रुपये 2020 में 25 कंपनियों द्वारा जुटाई गई थी। इस अब तक 20 कंपनियों ने राइट्स इश्यू के जरिए करीब 18,000 करोड़ रुपये जुटाए हैं। पिछले साल यह आंकड़ा 7,266 करोड़ रुपये और 2022 में यह 3,884 करोड़ रुपये था।

2024 के आखिरी दो हफ्तों में भी यह आंकड़ा बढ़ने की उम्मीद है, क्योंकि इस हफ्ते डीएएम कैपिटल एडवाइजर्स, वेंटीव हॉस्पिटैलिटी, कैरारो इंडिया, सेनोरेस फार्मास्युटिकल्स, ट्रांसरेल लाइटिंग, कॉनकॉर्ड एनवायरो सिस्टम्स, सनाथन टेक्सटाइल्स और ममता मशीनरी जैसी कंपनियों का आईपीओ खुला रहा है।

जानकारों का कहना है कि कंपनियों द्वारा बड़ी मात्रा में फंड जुटाए जाने की वजह अर्थव्यवस्था की विकास दर तेज होना है। साथ ही यह इक्विटी मार्केट में लोगों के बढ़ते विश्वास को भी दिखाता है।

भारतीय अर्थव्यवस्था की विकास दर वित्त वर्ष 2023-24 में 8.2 प्रतिशत थी। भारतीय रिजर्व बैंक के मुताबिक, चालू वित्त वर्ष (वित्त वर्ष 2024-25) में विकास दर 6.6 प्रतिशत रहने के अनुमान है।

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महंगाई पर बड़ी राहत, थोक मुद्रास्फीति दर नवंबर में घटकर 1.89 प्रतिशत रही

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नई दिल्ली, 16 दिसंबर। भारत में थोक मूल्य सूचकांक (डब्ल्यूपीआई) या थोक मुद्रास्फीति दर नवंबर में घटकर 1.89 प्रतिशत रह गई है, जो कि अक्टूबर में 2.36 प्रतिशत थी। इसकी वजह खाद्य वस्तुओं की कीमतों में कमी आना है। यह जानकारी वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय द्वारा सोमवार को दी गई है।

आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, खाद्य महंगाई दर नवंबर में 8.29 प्रतिशत पर रही है, जो कि अक्टूबर में 11.59 प्रतिशत थी। इसकी वजह सब्जियों में महंगाई दर का कम होना है।

नवंबर में प्याज में महंगाई दर अक्टूबर के 39.25 प्रतिशत के मुकाबले 2.85 प्रतिशत रही है।

बीते महीने ईंधन की कीमतों में महंगाई दर -5.83 प्रतिशत थी। इसके कारण थोक महंगाई की रफ्तार में कमी आई है। थोक महंगाई दर का खुदरा महंगाई दर से सीधा संबंध होता है। थोक महंगाई दर में कमी आने का असर खुदरा कीमतों पर भी होता है।

पिछले सप्ताह जारी आधिकारिक आंकड़ों के मुताबिक, भारत की खुदरा मूल्य मुद्रास्फीति या खुदरा महंगाई दर नवंबर में घटकर 5.48 प्रतिशत रह गई। इसमें कमी आने की वजह महीने के दौरान खाद्य पदार्थों की कीमतों में वृद्धि कम हुई।

खुदरा महंगाई दर में कमी लगातार दो महीने की बढ़त के बाद देखने को मिली थी। अक्टूबर में खुदरा महंगाई दर 6.21 प्रतिशत पर पहुंच गई थी।

अक्टूबर 2024 में भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) द्वारा तय किए गए महंगाई के बैंड 2 से 6 प्रतिशत के ऊपर निकलने के बाद एक बार फिर से खुदरा मुद्रास्फीति काबू में आ गई है। आरबीआई द्वारा महंगाई के 4 प्रतिशत से नीचे आने का इंतजार किया जा रहा है, जिससे ब्याज दरों में कटौती कर वृद्धि दर को बढ़ाया जा सके।

आरबीआई ने दिसंबर 2024 की मौद्रिक नीति में वृद्धि दर और महंगाई में बैलेंस रखते हुए कैश रिजर्व रेश्यो (सीआरआर) में 0.50 प्रतिशत की कटौती की थी, जिससे बैंकिंग सिस्टम में तरलता में इजाफा हुआ है।

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