व्यापार
हरे निशान पर खुला भारतीय शेयर बाजार, निफ्टी 23,200 स्तर से ऊपर
मुंबई, जनवरी 15। भारतीय शेयर बाजार बुधवार को हरे निशान में खुला। शुरुआती कारोबार में ऑटो, आईटी और पीएसयू बैंक सेक्टर में खरीदारी देखने को मिली।
सुबह करीब 9.26 बजे सेंसेक्स 258.74 अंक यानी 0.34 प्रतिशत चढ़कर 76,758.37 पर कारोबार कर रहा था, जबकि निफ्टी 49.45 अंक यानी 0.21 प्रतिशत चढ़कर 23,225.50 पर कारोबार कर रहा था।
नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (एनएसई) पर 1,263 शेयर हरे निशान में कारोबार कर रहे थे, जबकि 289 शेयर लाल निशान में थे।
निफ्टी बैंक 154.60 अंक या 0.32 प्रतिशत ऊपर चढ़कर 48,883.75 पर था। निफ्टी मिडकैप 100 इंडेक्स 169.90 अंक यानी 0.32 प्रतिशत बढ़कर 53,846.40 पर कारोबार कर रहा था।
निफ्टी स्मॉलकैप 100 इंडेक्स 71.25 अंक यानी 0.41 प्रतिशत चढ़कर 17,329.05 पर कारोबार कर रहा था। जानकारों के अनुसार, तीसरी तिमाही के नतीजों के जवाब में बाजार में बहुत सारी स्टॉक-स्पेसिफिक एक्टिविटी देखने को मिलेंगी।
बाजार अच्छा प्रदर्शन करने वालों को पुरस्कृत कर रहा है, उम्मीद से बेहतर नतीजे दे रहा है और उम्मीद से खराब नतीजे देने वालों को दंडित कर रहा है।
बाजार पर नजर रखने वालों ने कहा, “अमेरिकी राष्ट्रपति के रूप में डोनाल्ड ट्रंप की वापसी के लिए केवल पांच दिन शेष हैं, जल्द ही ट्रंप के कार्यों को लेकर स्पष्टता होगी, जिसका असर बाजार पर भी देखने को मिल सकता है। ऐसा लगता है कि डॉलर और यूएस बॉन्ड यील्ड अपने पीक पर आ गए हैं।”
इस बीच, सेंसेक्स पैक में, मारुति सुजुकी, जोमैटो, एनटीपीसी, इंडसइंड बैंक, टेक महिंद्रा, कोटक महिंद्रा बैंक, एचसीएल टेक, पावर ग्रिड और एलएंडटी टॉप गेनर्स थे। वहीं, एमएंडएम, बजाज फाइनेंस, बजाज फिनसर्व, नेस्ले इंडिया और एक्सिस बैंक टॉप लूजर्स थे।
अमेरिकी बाजारों में आखिरी कारोबारी सत्र में डॉव जोन्स 0.52 प्रतिशत चढ़कर 42,518.28 पर बंद हुआ। एसएंडपी 500 इंडेक्स 0.11 प्रतिशत बढ़कर 5,842.91 पर और नैस्डैक 0.23 प्रतिशत गिरकर 19,044.39 पर बंद हुआ।
एशियाई बाजारों में, चीन और बैंकॉक लाल निशान में कारोबार कर रहे थे। जबकि जकार्ता, सोल, हांगकांग और जापान हरे निशान में कारोबार कर रहे थे।
विशेषज्ञों के अनुसार, ऐसी खबरें हैं कि ट्रंप अमेरिका के प्रमुख निर्यातकों पर दबाव डालते हुए कम टैरिफ बढ़ोतरी के साथ शुरुआत करेंगे, जबकि बातचीत के लिए भी गुंजाइश छोड़ेंगे।
अगर यह परिदृश्य सामने आता है, तो डॉलर और अमेरिकी बॉन्ड यील्ड में और बढ़ोतरी रुक जाएगी।
तब तक एफआईआई की बिकवाली जारी रहेगी, जिससे बाजार में किसी भी तेजी की संभावना नहीं रहेगी।
इस बीच, विदेशी संस्थागत निवेशकों (एफआईआई) ने 14 जनवरी को 8,132.26 करोड़ रुपये के शेयर बेचे, जबकि घरेलू संस्थागत निवेशकों ने उसी दिन 7,901.06 करोड़ रुपये के शेयर खरीदे।
व्यापार
डीमर्जर के बाद टाटा मोटर्स कमर्शियल के शेयर 28 प्रतिशत प्रीमियम पर हुए लिस्ट

मुंबई, 12 नवंबर: टाटा मोटर्स की कमर्शियल इकाई के शेयर बुधवार को नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (एनएसई) पर 335 रुपए प्रति यूनिट पर लिस्ट हुए, जो कि डिस्कवरी प्राइस 260.75 रुपए प्रति यूनिट से 28.5 प्रतिशत अधिक है।
वहीं, बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज (बीएसई) पर टाटा मोटर्स कमर्शियल व्हीकल के शेयर 330.25 रुपए प्रति यूनिट पर लिस्ट हुए, जो कि डिस्कवरी प्राइस 261.90 रुपए प्रति शेयर से 26.09 प्रतिशत था।
हालांकि, लिस्टिंग के बाद शेयरों में करीब 2 प्रतिशत की गिरावट देखने को मिली है। सुबह करीब 11:35 बजे, एनएसई पर शेयर 1.90 प्रतिशत की गिरावट के साथ 328.65 रुपए पर कारोबार कर रहा था। वहीं, टाटा मोटर्स पैसेंजर व्हीकल के शेयर 0.69 प्रतिशत की गिरावट के साथ 404.75 रुपये पर कारोबार कर रहे थे।
टाटा मोटर्स के बोर्ड ने पिछले साल अपने कमर्शियल वाहन और पैसेंजर वाहन कारोबार को बेहतर ऑपरेशनल एफिशिएंसी के लिए 1:1 के अनुपात में अलग-अलग लिस्ट करने का ऐलान किया था।
यह डीमर्जर एक अक्टूबर 2025 से प्रभावी हो गया है। इसकी रिकॉर्ड डेट 14, अक्टूबर, 2025 थी।
इसके तहत, टाटा मोटर्स पैसेंजर व्हीकल्स लिमिटेड (टीएमपीवी) के शेयरों ने 14 अक्टूबर को एक स्वतंत्र इकाई के रूप में शेयर बाजार में कारोबार करना शुरू किया था , जिसका मूल्य रिकॉर्ड डेट पर समायोजन के बाद लगभग 400 रुपए प्रति शेयर था। यह 660.75 के डीमर्जर के पहले की डेट के क्लोजिंग प्राइस के आधार पर था, जबकि टाटा मोटर्स की वाणिज्यिक वाहन इकाई के शेयर का मूल्य 260 रुपए से प 270 रुपए प्रति शेयर के बीच होने का अनुमान था।
अलग-अलग होने के बाद टाटा मोटर्स पैसेंजर व्हीकल्स लिमिटेड का मार्केट कैप 1.51 लाख करोड़ रुपए पर पहुंच गया है। टाटा मोटर्स की वाणिज्यिक वाहन इकाई का मार्केट कैप एक लाख करोड़ रुपए से अधिक हो गया है।
व्यापार
एआई का वर्कलोड बढ़ने के साथ 50 प्रतिशत से अधिक भारतीय कंपनियां डेटा सेंटर क्षमता में कर रही हैं निवेश

मुंबई, 12 नवंबर: भारत में 50 प्रतिशत से ज्यादा कंपनियों का मानना है कि एआई (आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस) वर्कलोड आने वाले तीन से पांच वर्षों में 50 प्रतिशत से अधिक बढ़ सकता है और इसे संभालने के लिए 51 प्रतिशत कंपनियां अगले 12 महीनों में नई डेटा सेंटर क्षमता में निवेश कर रही हैं। यह जानकारी बुधवार को जारी एक रिपोर्ट में दी गई।
नेटवर्किंग उपकरण बनाने वाली कंपनी सिस्को की ओर से जारी की गई रिपोर्ट में कहा गया कि 91 प्रतिशत भारतीय कंपनियां अपने सिस्टम में ऑटोनॉमस एआई एजेंट्स की तैनाती कर रही हैं और केवल 37 प्रतिशत ही उसे पूरी तरह से सुरक्षित रख पाने में सक्षम हैं।
रिपोर्ट में कहा गया कि वैश्विक स्तर पर, एआई को लागू करने वाले 13 प्रतिशत संगठन फंडामेंटल इन्फ्रास्ट्रक्चर के विकल्प चुनकर अपने समकक्षों से बेहतर प्रदर्शन कर रहे हैं, जिससे चक्रवृद्धि लाभ प्राप्त हो रहे हैं।
सिस्को ने रिपोर्ट में ऐसे संगठनों को “पेससेटर” कहते हुए, कहा कि 97 प्रतिशत ग्लोबल पेससेटर्स ने यूस केस को अनलॉक करने और अधिक रिटर्न ऑन इन्वेस्टमेंट (आरओआई) प्राप्त करने के लिए एआई का उपयोग किया है।
रिपोर्ट में कहा गया है, “वे नेटवर्क-फर्स्ट नींव का निर्माण करते हैं, पावर इन्फ्रास्ट्रक्चर को प्राथमिकता देते हैं, निरंतर अनुकूलन करते हैं और पहले दिन से ही सुरक्षा का ध्यान रखते हैं।”
आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस कर्मचारियों के लिए भी वर्कप्लेस में उनके काम करने के तरीकों को बदलने को लेकर एक अहम फैक्टर बन रहा है।
जॉब साइट इनडीड की एक लेटेस्ट स्टडी बताती है कि 71 प्रतिशत कर्मचारी एआई का इस्तेमाल करियर को प्लान करने और प्रॉब्लम को सॉल्व करने के लिए करते हैं।
रिपोर्ट में कहा गया है कि 75 प्रतिशत कर्मचारियों ने माइक्रो-रिटायरमेंट, मूनलाइटिंग, फ्लेक्सिबल शेड्यूल और बेयर-मिनिमम मंडे जैसे कम से कम एक नए वर्कप्लेयर बिहेवियर को अपनाना शुरू कर दिया है।
इसके अलावा, 68 प्रतिशत एंट्री-टू-जूनियर लेवल कर्मचारी सीखने और करियर प्लानिंग को लेकर नई अप्रोच को ट्राई कर रहे हैं। 10 में से 4 कर्मचारी यानी लगभग 40 प्रतिशत कर्मचारियों का कहना है कि वे मूनलाइटिंग, फ्लेक्सिबल शेड्यूल और शॉर्ट करियर ब्रेक्स के साथ वर्क-लाइफ दोनों को बैलेंस करते हैं।
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पायलट और एटीसी को जीपीएस स्पूफिंग पर डीजीसीए का सख्त निर्देश, गड़बड़ी को 10 मिनट के अंदर रिपोर्ट करें

मुंबई, 12 नवंबर: भारत के एविएशन रेगुलेटर नागर विमानन महानिदेशालय (डीजीसीए) ने पायलट, एयर ट्रैफिक कंट्रोलर्स (एटीसी) और एयरलाइन को जीपीएस स्पूफिंग और अन्य ग्लोबल नेविगेशन सैटेलाइट सिस्टम (जीएनएसएस) में गड़बड़ी को 10 मिनट के अंदर रिपोर्ट करने को कहा है।
डीजीसीए की ओर से जारी सर्कुलर में कहा गया कि इस निर्देश का उद्देश्य फ्लाइट सेफ्टी और ऑपरेशनल इंटीग्रिटी को बनाए रखना है।
रेगुलेटर ने कहा, “अगर किसी भी पायलट, एटीसी कंट्रोलर और टेक्निकल यूनिट को जीपीसी का व्यवहार असामान्य जैसे नेविगेशन एरर, लॉस ऑफ जीएनएसएस सिग्नल इंटीग्रिटी और स्पूफड लोकेशन डेटा आदि लगता है, तो उसे रियल-टाइम में 10 मिनट के अंदर रिपोर्ट करें।
हाल ही में दिल्ली के इंदिरा गांधी इंटरनेशनल एयरपोर्ट पर जीपीएस में गड़बड़ी को देखा गया था, जो कि 1,500 से ज्यादा फ्लाइट मूवमेंट्स को प्रतिदिन संभालता है।
नियामक ने सभी पक्षकारों से प्रभावित क्षेत्र की तारीख, समय, विमान का प्रकार, पंजीकरण, मार्ग और निर्देशांक जैसे विवरण तुरंत दर्ज करने और साझा करने का निर्देश दिया है।
इसके अलावा सर्कुलर में गड़बड़ी के प्रकार, जैसे जैमिंग, स्पूफिंग, सिग्नल लॉस या इंटीग्रिटी एरर और प्रभावित विमान उपकरण का विवरण देने का आग्रह किया गया। साथ ही कहा गया कि अगर संभव हो तो सिस्टम लॉग, स्क्रीनशॉट या फ्लाइट मैनेजमेंट सिस्टम डेटा जैसी चीजों से इसकी पुष्टि करें।
नवंबर 2023 और फरवरी 2025 के बीच लगभग 465 जीपीएस गड़बड़ी और स्पूफिंग की घटनाएं दर्ज की गईं, जिनमें से अधिकांश अमृतसर और जम्मू जैसे सीमावर्ती क्षेत्रों में हुईं।
कई एयरलाइनंस ने पहले भी वैश्विक स्तर पर संघर्ष क्षेत्रों के ऊपर या उनके पास उड़ान भरते समय जीपीएस सिग्नल संबंधी समस्याओं की सूचना दी है। डीजीसीए वर्तमान में दिल्ली के आईजीआई एयरपोर्ट पर स्पूफिंग की घटनाओं की जांच कर रहा है और गड़बड़ी के पैमाने एवं पैटर्न का आकलन करने के लिए डेटा विश्लेषण कर रहा है।
वैश्विक स्तर पर, आईसीएओ (अंतर्राष्ट्रीय नागरिक उड्डयन संगठन) और आईएटीए (अंतर्राष्ट्रीय वायु परिवहन संघ) दोनों ने जीएनएसएस स्पूफिंग और जैमिंग की बढ़ती समस्याओं पर चिंता जताई है।
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