बहुत कम लोग ऐसे होते हैं जिन्हे सपने सही मायनों में पूरे होते हैं..और इन्ही चुनिन्दा लोगों में से एक हैं…खत्री डायग्नोस्टिक के मालिक डॉक्टर अजीज खत्री की कहानी, जिसे सुनकर आपको जीवन में आगे बढ़कर कुछ कर गुजरने का सबक जरूर मिलेगा..डॉक्टर अजीज खत्री आज एक मशहूर शख्सियत हैं जिनका खत्री डायग्नोस्टिक नाम से पूरे मुंबई में डायग्नोस्टिक की चेन है..जहां हर तरह के मरीजों की बीमारियों का टेस्ट किया जाता है..डॉक्टर खत्री ने ये मुकाम कैसे हासिल किया और इसके लिए उन्हे कितने संघर्ष करना पड़ा..इसके लिए आपको डॉक्टर अजीज खत्री के बचपन और गरीबी की इमोशनल और दिल को छू लेने वाली कहानी जाननी पड़ेगी..
मुंबई प्रेस ने जब डॉ. खत्री से इस कामयाबी के पीछे की कहानी पर सवाल किया तो वो खुद भी काफी इमोशनल हो गए..और कहने लगे कि बचपन में वो मां थी जिसने मुझे गरीबी के बावजूद पढ़ाया..वो अपना पेट भरने के लिए नहीं बल्कि मेरे फीस के लिए मजदूरी करती थी…हालाकि डॉक्टर खत्री ने ये भी कहा कि उस वक्त बचपन में उनके वालिद और मुस्लिम बच्चों की तरह टेलर बनाना चाहते थे..लेकिन मां ने वालिद से इसके लिए झगड़ा कर लिया और बोली चाहे कुछ भी हो जाए..मेरा बेटा पढेगा..तो पढ़ेगा..ये टेलर वेलर उसको नहीं बनना…पढ़ लिखकर वो कुछ अलग करेगा..बड़ा आदमी बनेगा…
डॉक्टर खत्री ने बहरहाल अपनी पढ़ाई पूरी की और 1975 में उन्होने 5 हजार रूपये कर्ज लेकर खत्री डायग्नोस्टिक की नींव कोलाबा में रखी..फिर भायखला में 1987 में इसकी ब्रांच खोली और आज खत्री डायग्नोस्टिक की कुछ 7 ब्रांचेज हैं..इसके अलावा मुंब्रा में भी इसकी ब्रांच है..पैथालॉजी से शुरू हुआ ये सफर धीरे धीरे बढता गया..और खत्री डायग्नोस्टिक में आज सारे आधुनिक टेस्ट होते हैं…डॉक्टर अजीज खत्री की मां ने जहां अपने बेटे को पढ़ा लिखाकर बड़ा किया वहीं पढाई पूरी होने के बाद वालिद ने खुद का बिजनेस करने के लिए प्रेरित किया..डॉ.खत्री आज जिस भी मुकाम पर हैं उसका श्रेय वो अपने वालिदैन को देते हैं…
समय के साथ डॉक्टर खत्री के बड़े बेटे ने जब एमबीबीएस पूरा किया तो उसने सोनोग्राफी के क्षेत्र में विशेषता हासिल की और डायग्नोस्टिक सेंटर में सोनोग्राफी होने लगी…बड़े बेटे सरफराज खत्री ने खत्री डायग्नोस्टिक सेंटर को और आगे बढाया और अपने वालिद का सहारा बना..सब कुछ खत्री परिवार में अच्छा चल रहा था कि 2018 में पता नहीं किसकी नजर इस परिवार पर लग गई..बड़े बेटे सरफराज खत्री का अचानक मौत हो गई..खत्री परिवार को एक बड़ा सदमा लगा..पल भर के लिए लगा कि सबकुछ खत्म हो गया है..लेकिन डॉक्टर अजीज खत्री इस सदमे से टूटे नहीं..उनके रिश्तेदारों, परिवार और दोस्तों ने इस सदमे से उबरने में मदद की और धीरे धीरे समय के साथ डॉक्टर खत्री ने डायग्नोस्टिक सेंटर फिर से पर ध्यान देना शुरू कर दिया..
अब उनका छोटा बेटा मोहसिन खत्री अपने वालिद का सहारा बन चुका है और खत्री डायग्नोस्टिक सेंटर को आगे बढाने में मदद कर रहा है..इस सेंटर में गरीब मरीजों का ख्याल भी रखा जाता है…और उन्हे रियायती दरों पर जांच की सुविधा उपलब्ध कराई जाती है…डॉ खत्री ने अपने इस पूरी जिंदगी से जो चीज सीखी है वो ये है कि हर इंसान को चाहे वो हिंदू हो या मुस्लिम इल्म जरूर हासिल करना चाहिए..और हर एक माता पिता का भी फर्ज है कि चाहे कुछ भी हो जाए अपने बच्चों को वो पहले तालीम जरूर दे….मुस्लिम दीनी तालीम के साथ दुनियावी तालीम भी अपने बच्चों को दिलवाएं ताकि वो दुनियावी माहौल में खुद को ढाल सके…